उनती एग्री और मारुत ड्रोन्स ने शुरु की ‘ड्रोन यात्रा’ …

देहरादून-15 मार्च, 2025 – नेशनल: उनती एग्री अलाइड एंड मार्केटिंग मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड यूएएमएमसीएल और मारुत ड्रोन्स – भारत की अग्रणी ड्रोन निर्माण और प्रशिक्षण कंपनी ने हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कई जिलों में ‘ड्रोन यात्रा’ के पहले फेज़ की शुरुआत की है, जिसका मकसद राज्यों में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाना और ड्रोन टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

यह ड्रोन यात्रा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के उन किसानों को ड्रोन टेक्नोलॉजी के लाभों के बारे में शिक्षित और प्रोत्साहित करेगी, जो धान, गेहूं, आलू और इसी तरह की अन्य लोकप्रिय फसलों की खेती करते हैं। ऊना जिले से शुरू होकर, यह 15 दिवसीय यात्रा हिमाचल के 2 जिलों और पंजाब के 1 जिले को कवर करेगी, जो पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बसे होशियारपुर में खत्म होगी। मारुत-उनाती टीम, ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए 15000 से अधिक किसानों से जुड़ेगी,और 5 हॉटस्पॉट के 4-5 गांवों में रोजाना प्रदर्शन करेगी।

लेबर, उर्वरक और एग्रोकेमिकल्स की बढ़ती कीमतों और खेतों में छिड़काव की जरूरत से ज्यादा वक़्त लेने वाली प्रक्रिया के कारण किसान आमतौर पर भारी कर्ज के बोझ तले दबे होते हैं। अनियमित वर्षा और मौसम के अप्रत्याशित पैटर्न, क्रॉप साइकल को बाधित करते हैं और पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसके अलावा, पानी की अधिक खपत वाली फसलों, जैसे धान की खेती के कारण तेजी से घटता हुआ भूजल स्तर भी राज्यों के लिए चिंता का विषय बन रहा है।

जमीनी स्तर की इस पहल का उद्देश्य है इस बारे में जागरूकता पैदा करना कि ड्रोन कैसे फसल की निगरानी को बढ़ा सकते हैं, इनपुट लागत को कम कर सकते हैं और उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं ताकि इन मुद्दों का एक स्थायी समाधान प्रदान किया जा सके। इस यात्रा ने किसानों के बीच गहरी रुचि पैदा की है, जिन्होंने छिड़काव के पारंपरिक तरीकों की तुलना में ड्रोन की प्रभावशीलता के बारे में उचित प्रश्न उठाए हैं। साथ ही साथ, ड्रोन तकनीक अपनाने में मदद करने के लिए किसानों को मिलने वाली सरकारी सब्सिडी में भी उनकी काफी रुचि थी।

मारुत ड्रोन्स के सीईओ और को-फाउंडर प्रेम कुमार विस्लावत जी ने कहा “यह ड्रोन यात्रा, विकसित भारत संकल्प यात्रा से प्रेरित है, जिसने पूरे देश में आउटरीच एक्टिविटी के माध्यम से जागरूकता फैलाने की गति को तेज किया और जिसे भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं से बल प्राप्त हुआ। इस यात्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर, 2023 को झारखंड के खूंटी से हरी झंडी दिखाई थी, जिसमें देश भर के विभिन्न स्थानों से एक साथ कई सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) वैन लॉन्च की गई थीं। 25 जनवरी, 2024 तक, इस यात्रा ने देश भर में 2।60 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों और 4000+ शहरी स्थानीय निकायों को कवर किया। यह यात्रा देश के कोने-कोने तक पहुँच चुकी है और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में लोगों में जागरूकता फैला रही है। यह पहल सुनिश्चित करती है कि ये सामाजिक कल्याण कार्यक्रम देश के हर व्यक्ति तक पहुँचें, यहाँ तक कि सबसे दूरदराज के इलाकों तक भी। इसी तर्ज पर हम भी अपना विनम्र योगदान दे रहे हैं”।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, “मारुत ड्रोन और यूएएमएमसीएल द्वारा किए गए प्रदर्शन, छिड़काव के मौसम में श्रमिकों की कमी जैसी चुनौतियों को लेकर सीधे किसानों को संबोधित करेंगे। हमें इन प्रदर्शनों के दौरान बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, किसान छिड़काव के दौरान पानी के उपयोग में कमी देखकर आश्चर्यचकित हैं, जो कि मैनुअल छिड़काव की तुलना में 95% कम है। यह काम खेत में प्रवेश किए बिना ही किया जाता है। ड्रोन से किया जाने वाला छिड़काव बहुत सटीक होता है, और कीटनाशक की बूंदें मिट्टी में नहीं गिरती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मिट्टी उपजाऊ, पोषक तत्वों से भरपूर और विषरहित बनी रहे, साथ ही साथ कीटनाशकों को किसान के शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सके।

हमारा उद्देश्य किसानों को यह बताना है कि ड्रोन किस तरह से पानी के इस्तेमाल को 170 लीटर प्रति एकड़ से सिर्फ़ 10 लीटर प्रति एकड़ तक कम कर सकते हैं। इन राज्यों के किसानों को बड़े खेतों में नैनो उर्वरक का छिड़काव करने में भी संघर्ष करना पड़ा है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें मैनुअल रूप से प्रति एकड़ 2-2।5 घंटे लगते हैं, लेकिन ड्रोन के साथ इसे सिर्फ़ 8 मिनट में किया जा सकता है। केंद्र सरकार की योजनाओं और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसी) के संसाधनों का लाभ उठाकर, हमारा लक्ष्य है, इन संगठनों की क्षमता को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना ताकि किसानों को उनकी कृषि उपज पर बेहतर रिटर्न प्राप्त करने में मदद मिल सके।”

यूएएमएमसीएल के संस्थापक श्री ज्योति सरूप ने कहा, “यूएएमएमसीएल, पीएसी सचिवों के साथ मीटिंग और प्रदर्शन आयोजित कर रहा है ताकि हिमाचल और पंजाब के स्थानीय किसानों को ड्रोन टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में पीएसी की भूमिका सुनिश्चित की जा सके।

पंजाब और हिमाचल प्रदेश में यात्रा पूरी होने के बाद, यात्रा का दूसरा फेज़ जम्मू और कश्मीर राज्य की ओर शुरू होगा।
ड्रोन यात्रा के अलावा, यूएएमएमसीएल और मारुत ड्रोन ने पंजाब के तलवाड़ा में ‘उनती मारुत ड्रोन अकादमी’ की स्थापना करके ड्रोन पायलट प्रशिक्षण की शुरुआत की है। ग्रामीण पंजाब में अपनी तरह के इस पहले आरपीटीओ का मकसद है स्थानीय समुदाय को सशक्त बनाना, ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देना तथा पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को एड्रेस करना। ऑन-ग्राउंड प्रदर्शनों के माध्यम से, मारुत ड्रोन, किसानों को नवीनतम टेक्नोलॉजी से जोड़ना चाहता है, ताकि किसान बड़े पैमाने पर ड्रोन टेक्नोलॉजी को अपनाकर कृषि में स्थिरता और प्रोडक्शन को बढ़ा सकें, साथ ही साथ 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रव्यापी उद्देश्य में अपना योगदान दे सकें।

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